सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद केंद्र सरकार ने विधि आयोग से समान नागरिक संहिता को लागू किये जाने पर विचार करने को कहा. विधि आयोग द्वारा जनता से राय लेने के उद्देश्य से 07 अक्टूबर 2016 को एक प्रश्नावली जारी की. इसे पैंतालीस दिन के भीतर भरकर विधि आयोग को ई-मेल से अथवा डाक द्वारा भेजना है.
डाक का पता - भारत का विधि आयोग, चौदहवाँ तल, एच. टी. हाउस, कस्तूरबा गाँधी मार्ग, नई दिल्ली - 110001
ई-मेल : lci-dla@nic.in
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निम्न को कॉपी करके मेल द्वारा अथवा डाक द्वारा भेजा जा सकता है.
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भारत का
विधि आयोग
एक समान
सिविल संहिता पर प्रश्नावली
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1. क्या आप जानते हैं कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में यह उपबंधित है कि “कि राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में
नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा?”
क. हाँ
ख. नहीं
आपके
विचार में, क्या इस विषय में कोई और पहल अपेक्षित है?
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2. विभिन्न धार्मिक संप्रदाय कुटुंब विधि के विषयों पर भारत में स्वीय विधियों
और रूढ़िजन्य प्रथाओं द्वारा शासित किये जाते हैं, क्या एक समान सिविल संहिता में
इन सभी विषयों या उनमें से कुछ विषयों को सम्मिलित किया जाना चाहिए?
i. विवाह
ii. विवाह-विच्छेद
iii. दत्तक ग्रहण
iv. संरक्षता और बाल अभिरक्षा
v. भरणपोषण
vi. उत्तराधिकार और
vii. विरासत
क. हाँ,
इसमें इन सभी को सम्मिलित किया जाना चाहिए--------------------
ख. नहीं,
इसमें सम्मिलित नहीं किया जाना चाहिए----------------------
ग. इसमें
आगे और सम्मिलित किया जाना चाहिए-----------------------
3. क्या आप सहमत हैं कि विद्यमान स्वीय विधियों और रूढ़िजन्य प्रथाओं के
संहिताकरण की आवश्यकता है और क्या लोग इससे लाभान्वित होंगे?
क. हाँ
ख. नहीं
ग. स्वीय
विधियों और रूढ़िजन्य प्रथाओं को एक समान संहिता द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना
चाहिए.
घ. स्वीय
विधियों और रूढ़िजन्य प्रथाओं को, मूल अधिकारों के अनुरूप लाने के लिए उन्हें
संहिताबद्ध किया जाना चाहिए.
4. क्या एक समान सिविल संहिता या स्वीय विधि और रूढ़िजन्य प्रथाओं का
संहिताकरण लैंगिक समानता को सुनिश्चित करेगा?
क. हाँ
ख. नहीं
5. क्या एक समान सिविल संहिता वैकल्पिक होनी चाहिए?
क. हाँ
ख. नहीं
6. क्या निम्नलिखित प्रथाओं पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए और उन्हें विनियमित
किया जाना चाहिए?
क.
बहुविवाह (पाबंदी लगाई जाये/विनियमित किया जाये)
ख. बहुपति
प्रथा (पाबंदी लगाई जाये/विनियमित किया जाये)
ग.
अन्यत्र मैत्री-करार (मित्रता विलेख) जैसी समरूप रूढ़िजन्य प्रथाएं (पाबंदी लगाई
जाये/विनियमित किया जाये)
7. क्या तीन बार तलाक की प्रथा को,
क.
पूर्णतया समाप्त कर दिया जाना चाहिए.
ख. रूढ़ि
को बने रहने दिया जाना चाहिए.
ग.
उपयुक्त संशोधनों के साथ बने रहने देना चाहिए.
8. आपका क्या विचार है कि यह सुनिश्चित किये जाने के लिए उपाय किये जाने
चाहिए कि हिंदू स्त्री अपने उस संपत्ति अधिकार का बेहतर ढंग से प्रयोग करने में
समर्थ है, जो प्रायः पुत्रों को रूढ़िजन्य प्रथाओं के अधीन वसीयत में दिया जाता है?
क. हाँ,
हिंदू स्त्रियों को इस अधिकार के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित
करने के लिए उपाय किये जाने चाहिए कि कुटुंब के दवाब में स्त्रियाँ अपनी संपत्ति
का त्याग न करें.
ख. नहीं,
विद्यमान विधि में पर्याप्त संरक्षण है. .
ग. विधिक
उपबंध उसमें सहायक नहीं होंगे जो मुख्यतया सांस्कृतिक प्रथा है, इसके स्थान पर
समाज को संवेदनशील बनाने के लिए उपाय करने होंगे.
9. क्या आप सहमत हैं कि विवाह-विच्छेद को अंतिम रूप देने के लिए दो वर्ष की
प्रतीक्षा अवधि से क्रिश्चियन स्त्री के समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है?
क. हाँ,
इसे सभी विवाहों में एक समान बनाया जाना चाहिए.
ख. नहीं,
यह अवधि पर्याप्त है और धार्मिक भावनाओं के अनुरूप है.
10. क्या आप सहमत हैं कि सभी स्वीय विधियों और रूढ़िजन्य प्रथाओं के लिए एक
समान आयु पर सहमति होनी चाहिए?
क. हाँ
ख. नहीं, रूढ़िजन्य
विधियाँ यौवनागम की प्राप्ति पर इस आयु का
पता लगाती हैं.
ग. “शून्यीकरण” विवाहों को
मान्यता देने की विद्यमान प्रणाली पर्याप्त है.
11. क्या आप सहमत हैं कि सभी धार्मिक संप्रदायों को विवाह-विच्छेद के लिए समान
आधार प्राप्त होने चाहिए?
क. हाँ
ख. नहीं,
सांस्कृतिक मतभेद को परिरक्षित किया जाना चाहिए.
ग. नहीं,
किन्तु स्वीय विधि के अंतर्गत पुरुषों और स्त्रियों को उपलब्ध विवाह-विच्छेद के
लिए एक समान आधार होने चाहिए.
12. क्या एक समान सिविल संहिता विवाह-विच्छेद पर स्त्रियों के भरणपोषण का
प्रत्याख्यान या अपर्याप्त भरण पोषण की समस्या का समाधान करने में सहायक होगी?
क. हाँ
ख. नहीं
कारण
बताएँ:
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13. विवाहों के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण को बेहतर ढंग से कैसे कार्यान्वित
किया जा सकता है?
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14. हमें ऐसे दंपत्तियों की संरक्षा के लिए, जो अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय
विवाह करते हैं, क्या-क्या उपाय करने चाहिए?
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15. क्या एक समान सिविल संहिता किसी व्यक्ति के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार
का उल्लंघन करती है?
क. हाँ
ख. नहीं
कारण
बताएँ:
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16. समान संहिता या स्वीय विधि के संहिताकरण के लिए समाज को संवेदनशील बनाने
हेतु क्या-क्या उपाय किये जाने चाहिए?
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